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Web Developer Nightmares: Why 69% of Projects Fail (CEO’s Real Story)

After building healthcare platforms across Delhi NCR, I discovered why web development projects consistently fail. From fresh graduates taking 6 months for simple websites to senior developers requiring constant ego massage, here’s the brutal truth backed by industry research and real case studies.

Harihar, AI, and You: Prompting for a Modern Spiritual Awakening
Ultimate Prompt for Mastering Your Life's AI? “The first element split itself into two parts: one ‘Hari’ and the second ‘Har’.” Hari (हरि): In this context, Hari represents the source, the seer, the true intelligence, the origin of will and imagination. Hari is the...
सृष्टि का आरंभ: शून्य से सब कुछ तक की संपूर्ण यात्रा

सृष्टि के आरंभ का सबसे गहरा रहस्य इस सरल सत्य में छुपा है – जब परम शून्यता स्वयं को अनुभव करना चाहती है, तभी सृष्टि का जन्म होता है। यह लेख शिव चेतना से लेकर संपूर्ण ब्रह्मांड तक की उस अद्भुत यात्रा को उजागर करता है जो हर आत्मा को करनी पड़ती है।

नेति नेति की अवस्था से सब कुछ बनने तक, और फिर सब कुछ छोड़कर वापस शुद्ध चेतना तक पहुंचने की यह संपूर्ण प्रक्रिया वास्तव में अहंकार की मृत्यु और शिव तत्व के पुनरागमन की कहानी है। जानिए कैसे आध्यात्मिक साधना के माध्यम से हम उसी मूल स्रोत तक वापस पहुंच सकते हैं जहां से हमारी यात्रा शुरू हुई थी।

यह केवल दर्शन नहीं, बल्कि उस व्यावहारिक ज्ञान का सार है जो हमें वर्तमान क्षण में पूर्ण चैतन्यता के साथ जीने की कला सिखाता है। शिव = कुछ भी नहीं – यह समीकरण समझना ही मुक्ति का द्वार है।

शिव का अंतिम रहस्य: द्वार खुलता है मिटने में

शिव केवल पूज्य देवता नहीं, बल्कि संसार और सत्य के बीच एक दिव्य सेतु हैं। प्रथम गुरु और आदियोगी के रूप में वे आध्यात्मिक यात्रा में एक अनूठी भूमिका निभाते हैं। जब साधक की यात्रा पूर्ण होती है, तब शिव स्वयं को गायब कर देते हैं। यह आध्यात्म का सबसे बड़ा विरोधाभास है – जिसे पाने के लिए उसे खोना पड़ता है।

सृष्टि का आरंभ: शून्य से सब कुछ तक की संपूर्ण यात्रा

सृष्टि के आरंभ का सबसे गहरा रहस्य इस सरल सत्य में छुपा है – जब परम शून्यता स्वयं को अनुभव करना चाहती है, तभी सृष्टि का जन्म होता है। यह लेख शिव चेतना से लेकर संपूर्ण ब्रह्मांड तक की उस अद्भुत यात्रा को उजागर करता है जो हर आत्मा को करनी पड़ती है।

नेति नेति की अवस्था से सब कुछ बनने तक, और फिर सब कुछ छोड़कर वापस शुद्ध चेतना तक पहुंचने की यह संपूर्ण प्रक्रिया वास्तव में अहंकार की मृत्यु और शिव तत्व के पुनरागमन की कहानी है। जानिए कैसे आध्यात्मिक साधना के माध्यम से हम उसी मूल स्रोत तक वापस पहुंच सकते हैं जहां से हमारी यात्रा शुरू हुई थी।

यह केवल दर्शन नहीं, बल्कि उस व्यावहारिक ज्ञान का सार है जो हमें वर्तमान क्षण में पूर्ण चैतन्यता के साथ जीने की कला सिखाता है। शिव = कुछ भी नहीं – यह समीकरण समझना ही मुक्ति का द्वार है।

शिव का अंतिम रहस्य: द्वार खुलता है मिटने में

शिव केवल पूज्य देवता नहीं, बल्कि संसार और सत्य के बीच एक दिव्य सेतु हैं। प्रथम गुरु और आदियोगी के रूप में वे आध्यात्मिक यात्रा में एक अनूठी भूमिका निभाते हैं। जब साधक की यात्रा पूर्ण होती है, तब शिव स्वयं को गायब कर देते हैं। यह आध्यात्म का सबसे बड़ा विरोधाभास है – जिसे पाने के लिए उसे खोना पड़ता है।

गृहस्थ धर्म में वैराग्य: वेदांत का व्यावहारिक मार्ग

क्या गृहस्थ धर्म और वैराग्य परस्पर विरोधी हैं? आधुनिक साधक की सबसे बड़ी चुनौती है संसार में रहकर वैराग्य का विकास। ईशावास्य उपनिषद से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता तक, सभी शास्त्रों में गृहस्थ जीवन में वैराग्य की स्पष्ट विधि मिलती है। पारिवारिक दायित्वों, कार्यक्षेत्र की जिम्मेदारियों और सामाजिक कर्तव्यों के साथ कैसे आसक्ति से मुक्त हुआ जा सकता है? इस लेख में वेदांत के अनुसार संसार में रहकर वैराग्य की संपूर्ण व्यावहारिक विधि प्रस्तुत है।

Shiv: The One Who Is Not (Hindi)

जब सब कुछ समाप्त हो जाता है, जब सभी नाम-रूप विलीन हो जाते हैं, जब सारे शब्द मौन हो जाते हैं, तब जो है – वही शिव है। वो जो दिखता नहीं, पकड़ा नहीं जाता, समझा नहीं जाता, फिर भी जिसके बिना कुछ हो ही नहीं सकता। यह है शुद्ध चैतन्य की स्तुति, प्रथम गुरु की महिमा का गान…

शिव का अंतिम रहस्य: द्वार खुलता है मिटने में

शिव का अंतिम रहस्य: द्वार खुलता है मिटने में

शिव केवल पूज्य देवता नहीं, बल्कि संसार और सत्य के बीच एक दिव्य सेतु हैं। प्रथम गुरु और आदियोगी के रूप में वे आध्यात्मिक यात्रा में एक अनूठी भूमिका निभाते हैं। जब साधक की यात्रा पूर्ण होती है, तब शिव स्वयं को गायब कर देते हैं। यह आध्यात्म का सबसे बड़ा विरोधाभास है – जिसे पाने के लिए उसे खोना पड़ता है।

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गृहस्थ धर्म में वैराग्य: वेदांत का व्यावहारिक मार्ग

गृहस्थ धर्म में वैराग्य: वेदांत का व्यावहारिक मार्ग

क्या गृहस्थ धर्म और वैराग्य परस्पर विरोधी हैं? आधुनिक साधक की सबसे बड़ी चुनौती है संसार में रहकर वैराग्य का विकास। ईशावास्य उपनिषद से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता तक, सभी शास्त्रों में गृहस्थ जीवन में वैराग्य की स्पष्ट विधि मिलती है। पारिवारिक दायित्वों, कार्यक्षेत्र की जिम्मेदारियों और सामाजिक कर्तव्यों के साथ कैसे आसक्ति से मुक्त हुआ जा सकता है? इस लेख में वेदांत के अनुसार संसार में रहकर वैराग्य की संपूर्ण व्यावहारिक विधि प्रस्तुत है।

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Shiv: The One Who Is Not (Hindi)

Shiv: The One Who Is Not (Hindi)

जब सब कुछ समाप्त हो जाता है, जब सभी नाम-रूप विलीन हो जाते हैं, जब सारे शब्द मौन हो जाते हैं, तब जो है – वही शिव है। वो जो दिखता नहीं, पकड़ा नहीं जाता, समझा नहीं जाता, फिर भी जिसके बिना कुछ हो ही नहीं सकता। यह है शुद्ध चैतन्य की स्तुति, प्रथम गुरु की महिमा का गान…

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आध्यात्मिक जागरण के संकेत: क्या आप भी अनुभव कर रहे हैं ये परिवर्तन?

आध्यात्मिक जागरण के संकेत: क्या आप भी अनुभव कर रहे हैं ये परिवर्तन?

क्या आप असामान्य संवेदनाएं, बढ़ी हुई जागरूकता, या गहन अंतर्दृष्टि अनुभव कर रहे हैं? आध्यात्मिक जागरण के संकेतों और चेतना विस्तार की परिवर्तनकारी यात्रा को समझें। यह व्यापक मार्गदर्शिका आध्यात्मिक साधकों को व्यावहारिक ज्ञान के साथ अपने अनुभवों को समझने में मदद करती है।

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त्रिज्ञान सत्र: दूसरा दिन – माया का ज्ञान

त्रिज्ञान सत्र: दूसरा दिन – माया का ज्ञान

माया, जिसका अर्थ है “जो नहीं है,” उस कथित वास्तविकता को संदर्भित करता है जिसमें स्थायी अस्तित्व की कमी है। संसार को माया माना जाता है क्योंकि इसके भीतर सब कुछ निरंतर परिवर्तन के अधीन है। माया को समझने से हमें क्षणिक अनुभवों से अलग होने और आंतरिक शांति खोजने में मदद मिलती है।

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आत्म से ब्रह्म तक: परम सत्य का अनुभव

आत्म से ब्रह्म तक: परम सत्य का अनुभव

यह लेख आत्मज्ञान से ब्रह्म ज्ञान तक की गहन यात्रा पर प्रकाश डालता है, जो परम सत्य का अनुभव करने के मार्ग का एक सरलीकृत लेकिन गहरा अन्वेषण प्रदान करता है।

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बुद्ध पूर्णिमा: सत्य की खोज का वह मार्ग जो हमें अपने भीतर ले जाता है

बुद्ध पूर्णिमा: सत्य की खोज का वह मार्ग जो हमें अपने भीतर ले जाता है

बुद्ध एक आदर्श गुरु हैं क्योंकि उन्होंने केवल सिद्धांत ही नहीं दिए, बल्कि स्वयं के अनुभव से प्राप्त ज्ञान का मार्ग दिखाया। बुद्धत्व हमारा सत्य स्वरूप है, जो पहले से ही हमारे भीतर मौजूद है, केवल माया के आवरण से ढका हुआ है। इस बुद्ध पूर्णिमा पर, हम सब अपने भीतर के बुद्ध को जगाने का संकल्प लें।

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शिव को शाश्वत चेतना के प्रतीक के रूप में कैसे समझें?

शिव को शाश्वत चेतना के प्रतीक के रूप में कैसे समझें?

शिव मात्र एक देवता नहीं, बल्कि शाश्वत चेतना के प्रतीक हैं। इस लेख में जानिए कैसे शिव का साक्षी भाव हमें मन के परे ले जाता है, और कैसे हम अपने दैनिक जीवन में इस शुद्ध चैतन्य का अनुभव कर सकते हैं। ओशो, महर्षि रमण और माँ शून्य के अंतर्दृष्टि से समृद्ध यह आलेख आपको आत्मज्ञान के मार्ग पर एक कदम आगे ले जाएगा।

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जाति वृत्ति को साक्षी भाव से समझना: अनुभवकर्ता की दृष्टि

जाति वृत्ति को साक्षी भाव से समझना: अनुभवकर्ता की दृष्टि

जाति वृत्ति – सामाजिक पहचान, प्रतिष्ठा, सफलता और प्रभाव की चाह – मानव स्वभाव का एक स्वाभाविक हिस्सा है। जब हम अनुभवकर्ता होते हैं – इन वृत्तियों के साक्षी, दृष्टा – तब हम इनके प्रभाव से स्वतंत्र हो जाते हैं। हम इनसे लड़ते नहीं, इन्हें दबाते नहीं, इन्हें अस्वीकार नहीं करते – हम सिर्फ इन्हें देखते हैं। आप अपनी वृत्तियों के स्वामी नहीं, न ही दास – आप उनके साक्षी हैं, अनुभवकर्ता हैं, आत्मन हैं।

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भोग वृत्ति को साक्षी भाव से समझना: अनुभवकर्ता की दृष्टि

भोग वृत्ति को साक्षी भाव से समझना: अनुभवकर्ता की दृष्टि

भोग वृत्ति को साक्षी भाव से कैसे देखें? इस लेख में जानें कैसे हम अपने व्यवहार, वाणी, विचार, संबंध, मनोरंजन और स्वास्थ्य में छिपी सुख-सुविधा की चाह को अनुभवकर्ता की दृष्टि से देख सकते हैं। रोजमर्रा के सरल उदाहरणों के माध्यम से समझें कि कैसे इच्छाओं से लड़े बिना, उनके साक्षी बनकर, हम वास्तविक आनंद और शांति पा सकते हैं।

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पशु वृत्ति से मुक्ति: जागरूकता और परिवर्तन का मार्ग

पशु वृत्ति से मुक्ति: जागरूकता और परिवर्तन का मार्ग

पशु वृत्ति से मुक्ति के लिए अनुभवकर्ता बनना सीखें। इस लेख में जानें कैसे हमारे व्यवहार, वाणी, विचार, संबंध, मनोरंजन और स्वास्थ्य में छिपी पशु वृत्तियों को साक्षी भाव से देखकर उनसे ऊपर उठा जा सकता है। रोजमर्रा के सरल उदाहरणों के माध्यम से समझें कि कैसे नियंत्रण करने के बजाय सिर्फ देखने की शक्ति आपको आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाएगी

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आध्यात्मिक जीवन: धार्मिक और अधार्मिक वृत्तियों को समझना

आध्यात्मिक जीवन: धार्मिक और अधार्मिक वृत्तियों को समझना

दैनिक जीवन में धार्मिक और अधार्मिक वृत्तियों को समझकर आध्यात्मिक विकास का मार्ग खोजें। यह व्यावहारिक मार्गदर्शिका भारतीय परिदृश्य से जुड़े उदाहरणों के माध्यम से बताती है कि कैसे अपने व्यवहार, वाणी, विचार, संबंध, मनोरंजन और स्वास्थ्य के साक्षी बनकर अपनी आध्यात्मिक यात्रा को परिवर्तित कर सकते हैं। नियंत्रण करने के बजाय अवलोकन करना सीखें और दैनिक चुनौतियों के बीच शांति पाएं।

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Journey to Self-Realization: My Experience at Shoonya Bodhisatva

Journey to Self-Realization: My Experience at Shoonya Bodhisatva

Explore my transformative spiritual journey at Shoonya Bodhisatva’s Trigyan program, where Maa Shoonya guided me through self-realization. Learn about the nature of existence, the relationship between experiencer and experience, sahaj samadhi, and the path from Atmagyaan to Brahmagyaan through profound yet accessible teachings of the Gyan Marg (path of knowledge).

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अनुभवकर्ता से अनुभव तक: शून्य बोधिसत्व में मेरी आध्यात्मिक खोज

अनुभवकर्ता से अनुभव तक: शून्य बोधिसत्व में मेरी आध्यात्मिक खोज

शून्य बोधिसत्व में त्रिज्ञान कार्यक्रम के दौरान मेरे आध्यात्मिक अनुभव और अस्तित्व, अनुभवकर्ता तथा अनुभव के बारे में सीखे गए सिद्धांतों का विवरण। समय से परे जाने, सहज समाधि और आत्मज्ञान से ब्रह्मज्ञान तक की यात्रा के व्यावहारिक उदाहरणों से भरपूर यह लेख साधकों के लिए मार्गदर्शक है।

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Startup Success Essentials: Proven Strategies for Long-Term Growth

Startup Success Essentials: Proven Strategies for Long-Term Growth

Launching a startup is an exhilarating journey, but transforming that vision into a thriving, long-term business requires more than just enthusiasm. It takes careful planning, adaptability, a clear mission, and a relentless focus on delivering value. In this guide, we’ll explore the core principles every founder should focus on to build a resilient, sustainable startup. From financial planning and market research to creating a team culture that supports growth, these strategies aren’t just boxes to check—they’re the foundation of lasting success.

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Sanatan Dharma in Modern India

Sanatan Dharma in Modern India

Sanatan is more than a tradition—it is an expansive philosophy that embraces every seeker’s unique path to the divine. From the timeless tales of Prayagraj to the wisdom of great thinkers, Sanatan transcends boundaries, harmonizing diverse beliefs into a unified journey. Reflecting universal truths, Sanatan teaches us that every perspective, whether through peace, devotion, or selflessness, leads to the same boundless essence of unity.

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Prayagraj Diaries: A Lifelong Journey through Faith, Rituals, and Self

Prayagraj Diaries: A Lifelong Journey through Faith, Rituals, and Self

Growing up by the Ganga in Prayagraj, Sanatan wasn’t just a belief—it was woven into every moment, every ritual, and every question that shaped my understanding of life and spirituality. From awe-inspiring Naga Sadhus to profound childhood questions, this journey transformed my view of Sanatan from rituals to reverence.

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The Global AI Boom: A Path for Purposeful Growth Among Youth

The Global AI Boom: A Path for Purposeful Growth Among Youth

In 2024, AI is reshaping youth culture worldwide, offering powerful tools for self-expression but also tempting many toward superficial digital identities. As AI adoption surges in countries like China and Ethiopia, young people are captivated by face-swapping apps and personal branding tools, yet often at the expense of real skill-building. This article calls on today’s youth to embrace AI as a path to personal growth, focusing on skill development over social validation. Let’s leverage AI to empower, not misguide, the next generation—ensuring technology enhances our true potential rather than masking it.

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